- Rajbhawan
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31 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से राज भवन में नेशनल डिफेन्स कॉलेज, नई दिल्ली से झारखण्ड भ्रमण पर आये 18 पदाधिकारियों ने शिष्टाचार भेंट की। राज्यपाल महोदय ने उन्हें झारखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ यहाँ के पुरातात्विक, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों के संदर्भ में अवगत कराया। उन्होंने राज्य को अपार संभावनाओं वाला प्रदेश बताते हुए यहाँ की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिणिक संबंधी विभिन्न पहलुओं की चर्चा की। भ्रमण पर आये पदाधिकारियों ने भी अपने कार्यानुभव एवं झारखण्ड भ्रमण के दौरान प्राप्त अनुभव को साझा किया।
31 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से सैनिक स्कूल, तिलैया के प्राचार्य ग्रुप कैप्टन राहुल सकलानी ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की।
30 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर राज भवन में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
30 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि पर मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका में उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित की। उक्त अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन, माननीया राज्यसभा सांसद डॉ. महुआ माजी, विधानसभा सदस्य श्री सी.पी. सिंह, महापौर, राँची डॉ. आशा लकड़ा समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
30 January 2023
आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग द्वारा आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
 सर्वप्रथम, आज उपाधि ग्रहण करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देता हूँ, पदक हासिल करने वाले विद्यार्थी विशेष रूप से प्रशंसा के पात्र हैं। यह उनकी लगन और कड़ी मेहनत का परिणाम है। इस अवसर पर मैं शिक्षकों एवं अभिभावकों के साथ सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ।
 किसी भी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में जब मैं जाता हूँ तो वहाँ जाकर एक अभिभावक के रूप में विद्यार्थियों को प्रेरित करने की कोशिश करता हूँ और मैं चाहता हूँ कि राज्य का हर विद्यार्थी बेहतर करे और राज्य का मान बढ़ाये।
 मैं जानता हूँ, राज्य के विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष हैं, प्रतिभाशाली हैं और वे अपनी प्रतिभा से हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं, जरूरत है तो उन्हें उचित दिशा प्रदान करने की एवं शिक्षकों के बेहतर मार्गदर्शन की।
 प्रिय विद्यार्थियों, इस दीक्षांत समारोह का आप सब बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे होंगे। मुझे उम्मीद है कि आप यहाँ अर्जित ज्ञान एवं व्यक्तिगत अनुभव से जीवन में आनेवाली विभिन्न चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना करने में सक्षम होंगे और प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपनी उपलब्धियों से इस विश्वविद्यालय ही नहीं, राज्य का नाम भी रौशन करेंगे और साथ ही साथ अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणा का कार्य करेंगे।  हम जानते हैं कि विद्या को किसी के द्वारा आपसे चुराया नहीं जा सकता और न ही कोई आपसे छीन सकता। जिसके पास विद्या व ज्ञान है, वह कठिन से कठिन परिस्थियों में भी नदी की भाँति अपना मार्ग खुद ढूँढ लेता है।
 गीता में “‘सा विद्या या विमुक्तये’ ” का वर्णन है जिसका अर्थ “शिक्षा या विद्या वही है, जो हमें बंधनों से मुक्त करे और हमारा हर पहलू पर विस्तार करे।” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती है। उनके मुताबिक़ शिक्षा का अर्थ सर्वांगीण विकास था।”
 मेरा मानना है कि शिक्षा सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण जरिया है। इसके माध्यम से लोग स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बन सकते हैं। मैं मानता हूँ कि हर शिक्षित व्यक्ति को नौकरी नहीं दी जा सकती है, लेकिन शिक्षित व्यक्ति अपने हुनर से न केवल अपने लिए आजीविका के साधन सुनिश्चित कर सकता है, बल्कि जॉब क्रिएटर भी बन सकता है और लोगों को रोजगार दे सकता है।
 शिक्षा मनुष्य को नैतिक बनाने की कला है। सीखने की लगन विकसित करें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप कभी भी प्रगति करने से नहीं रुकेंगे। शिक्षा का उद्देश्य एक खाली दिमाग को खुले दिमाग में बदलना है। ज्ञान वही है जो आपके किरदार में झलकता है। शिक्षा हमारे समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास को मिटाने का भी साधन है। यह गलत रास्ते पर जाने से रोकती है। यह हमारे सोचने के दायरे को व्यापक बनाता है।
 भारत ऋषि-मुनियों एवं ज्ञानियों की भूमि है और यहाँ की सभ्यता-संस्कृति अत्यंत समृद्ध रही है। हमारे युवाओं को इस विरासत पर गर्व करना चाहिए। इस क्रम में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुत ही सार्थक है। शिक्षाविदों को इसकी विशेषताओं की व्यापक चर्चा करना चाहिए ताकि विद्यार्थी इससे लाभान्वित हो और समाज को भी इसका लाभ मिले। छात्रहित में विश्वविद्यालयों के कुलपति को समय-समय पर आपस में मिलकर शिक्षा जगत से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा करनी चाहिए।
 सभी विश्वविद्यालयों द्वारा यू.जी.सी. की गाइडलाइंस का हर हालत में पालन हो, शैक्षणिक सत्र नियमित हो, रिजल्ट का समय पर प्रकाशन हो तथा समय पर विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की जाय, इसके लिए विश्वविद्यालय हमेशा प्रयत्नशील रहें। विश्वविद्यालय में सुंदर एवं अनुशासित माहौल हो। सर्वत्र ज्ञान-विज्ञान का वातावरण हो, आधारभूत संरचनाएं उपलब्ध हों तथा समय-समय पर विभिन्न सकारात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जाता रहे, जिससे विद्यार्थी प्रोत्साहित हो तथा उनका मनोबल बढ़े।
 रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था, “हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मकसद से प्रेरित, यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है। इसके कारण हमें नियमों, परिभाषाओं, तथ्यों और विचारों को बचपन से रटने की दिशा में धकेल दिया जाता है। यह न तो हमें वक्त देती है और न ही प्रेरित करती है ताकि हम ठहरकर सोच सकें और सीखे हुए को आत्मसात कर सकें। ”
 शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम तक ही सीमित न रखें। कक्षाओं में अच्छे परिवेश में लेक्चर होना चाहिए, उस विषय पर स्वस्थ वाद-विवाद होना चाहिए। शिक्षा का अभिप्राय यह न हो कि विद्यार्थियों को नोट्स उपलब्ध करा दिये और विद्यार्थी उसे रट कर सिर्फ अच्छे अंक प्राप्त कर लें। विद्यार्थियों में निहित इनोवेटिव आइडिया एवं रचनात्मक क्षमता को विकसित करने की कोशिश होनी चाहिए।
 माँ सरस्वती की साधना सच्चे मन से की जानी चाहिए। ज्ञान के मंदिर का व्यावसायीकरण नहीं होना चाहिए। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्रों की भागीदारी को इस उद्देश्य के साथ स्वीकार किया गया कि अधिक से अधिक लोगों के बीच उच्च शिक्षा सुगम हो, न कि लाभ के लिए। सिर्फ लाभ ही शिक्षण संस्थानों का मकसद नहीं होना चाहिए। शिक्षण संस्थानों को अपने विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा और संस्कृति देने का भी प्रयास करना चाहिए कि भविष्य में वे उन पर गर्व कर सकें।
 विश्वविद्यालय का सामाजिक दायित्व है कि आसपास के ग्रामों में जाकर लोगों को शिक्षा का महत्व समझाएँ और उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक करें। कोई भी बच्चा अर्थाभाव में उच्च शिक्षा से वंचित न रहे, इस दिशा में विश्वविद्यालय को ध्यान देने की जरूरत है। विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति कार्यक्रम का भी संचालन होना चाहिए, इससे विद्यार्थी न केवल अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं, बल्कि उनके मनोबल में भी वृद्धि होती है।
 शिक्षित व्यक्ति ही किसी भी समाज का पथ-प्रदर्शक होता है। देश, प्रदेश व समाज को दिशा देने की अहम जिम्मेदारी उन पर ही होती है। देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सामाजिक दायित्वों को निभाने के लिए आप विद्यार्थियों को हमेशा तैयार रहना चाहिए। यह देश के प्रति आपकी जिम्मेदारी भी है।
 अंत में, एक बार पुनः उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। आप निरंतर परिश्रम करते रहें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करें, मेरा आशीर्वाद आप सबके साथ हैं।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!
27 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने राँची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में विद्यार्थियों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा 2023’ कार्यक्रम के तहत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा छात्र-छात्राओं के साथ किये गये संवाद को देखा।
26 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मोरहाबादी मैदान, राँची में आयोजित समारोह में झंडोत्तोलन किया एवं राज्यवासियों को संबोधित किया।
26 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आज दीपाटोली, राँची स्थित झारखंड युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर वीर शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
26 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहीद चौक, राँची स्थित शहीद स्थल-सह-स्मारक जाकर झंडोत्तोलन किया एवं अमर शहीदों को नमन किया।
25 January 2023
राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन :-
 सर्वप्रथम, ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ की आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें, उन युवा मतदाताओं को मैं विशेष बधाई देता हूँ जिनका पहली बार मतदाता सूची में नाम शामिल हुआ है। इस अवसर पर मैं चुनाव आयोग के साथ-साथ निर्वाचन कार्य से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूँ।
 आज ही के दिन 25 जनवरी 1950 को भारत के निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी। आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर वर्ष 2011 से इस दिन को मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है और सभी मतदान केन्द्रों पर आयोजित होने वाले मतदाता दिवस कार्यक्रम के माध्यम से मतदाताओं को उनके मताधिकार के प्रति जागरूक किया जाता है।
 राष्ट्रीय मतदाता दिवस लोकतंत्र में मतदाताओं के महत्व को भी दर्शाता है। मतदाताओं की भागीदारी के बिना लोकतंत्र की कल्पना अधूरी है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत में मतदाताओं को जागरुक करने और चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने में इस दिन का विशेष महत्व है।
 भारत का निर्वाचन आयोग अपने स्थापना काल से ही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को निरंतर सशक्त बनाने के लिए वचनबद्ध है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इस वर्ष राष्ट्रीय मतदाता दिवस का थीम रखा गया है- ‘वोट जैसा कुछ नहीं, वोट जरूर डालेंगे हम’। लोकतंत्र की मजबूती मतदाताओं की सतर्कता एवं जागरूकता पर ही निर्भर है। लोकतंत्र में सिर्फ वोटर बनना ही उपलब्धि नहीं है, मतदाताओं पर बहुत बड़ा दायित्व होता है और मतदाता पहचान पत्र आपको अपने दायित्व का निरंतर बोध कराता है।
 हमारे मतदाता अपने जन-प्रतिनिधियों का चयन अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ करें। मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते समय जाति, धर्म व सम्प्रदाय एवं भाषा आदि किसी भी प्रकार के प्रलोभनों से दूर रह कर अपने विवेक और अपनी अन्तरात्मा की आवाज पर अपने मत का प्रयोग करें। देश का हर नागरिक जागरूक हो एवं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को समझे।
 लोकतंत्र में मतदान करना बहुत ही पवित्र कार्य है। इससे देश व प्रदेश को दिशा मिलती है। लोग सोचते हैं कि एक वोट नहीं डालने से क्या होगा? यदि प्रत्येक मतदाता यह सोचकर मतदान करने नहीं जाए, तो क्या मतदान हो पायेगा? लेकिन बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। कुछ लोग समयाभाव के कारण वोट डालने नहीं जाते है, तो कुछ लंबी लाइन देख कर लौट जाते हैं, लेकिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमें इस उदासीनता से उबरना होगा और यदि मददाता सूची में नाम नहीं है तो नाम दर्ज कराने का प्रण भी लेना होगा।
 प्रत्येक योग्य नागरिक जो 18 वर्ष से अधिक हो, अपने जागरूक होने का परिचय देते हुए मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाये। आप लोग ऑनलाइन माध्यम से भी मतदाता सूची में नाम दर्ज करा सकते हैं। खुशी है कि निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर मतदाता जागरूकता अभियान के जरिये सभी योग्य व्यक्तियों को इस दिशा में प्रेरित किया जाता है।
 साथ ही यहाँ कहना चाहूँगा कि मतदाता सूची में सुधार का भी गति से काम होना चाहिए। कोई मतदाता न छूटे, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य के सभी बी.एल.ओ. तथा आयोग से जुड़े सदस्यों को मैं अपनी शुभकामनायें देता हूँ।
 एक बार मैं पुनः भारत निर्वाचन आयोग को इस राज्य की समस्त जनता की ओर से बधाई देता हूँ।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!
25 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से श्री इंद्रजीत सिंह राणा, महानिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल, मेरू कैम्प ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की।
24 January 2023
साईं नाथ विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
 साईं नाथ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आप सभी के बीच आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। सर्वप्रथम, मैं आज उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देता हूँ। आपके साथ-साथ मैं आपके माता-पिता और शिक्षकों को भी बधाई देता हूँ क्योंकि आपकी इस सफलता में उनका भी बहुत बड़ा योगदान है।
 दीक्षान्त समारोह किसी भी विद्यार्थी के लिए यादगार पल होता है। यहाँ से विद्यार्थियों के जीवन की नई यात्रा शुरू होती है। आपके चेहरों पर उत्साह और जोश देखकर अन्य विद्यार्थी भी आप लोगों से प्रेरित होंगे। अब आप लोगों के सामने जीवन की असली चुनौतियाँ आएँगी जो आपके जीवन की दिशा और दशा तय करेंगी।
 युवाओं के आदर्श व प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी का विचार था- हर मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है। पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम जी ने छात्रों को कहा था कि छात्रों को लक्ष्य ऊँचा रखना चाहिए। वे छात्र-छात्राओं को सपने देखने के लिए कहते थे और कहते थे कि सपने वे नहीं जो रात में आते हों, सपने वे हैं जो आपको सोने नहीं दे और मंजिल हासिल करने के लिए प्रेरित करे। मुझे उम्मीद है आप लोग जीवन में और भी मेहनत करेंगे, अपनी दक्षता एवं प्रतिभा से विशिष्ट पहचान बनायेंगे और अपना लक्ष्य अवश्य हासिल करेंगे।
 शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में निहित प्रतिभाओं का विकास होता है। व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया में, व्यक्तित्व के समग्र विकास में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालयों का मकसद सिलेबस को पूरा करना और किताबी शिक्षा देकर अच्छे अंक दिलाना मात्र नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि विद्यार्थियों को कैसे बेहतर ज्ञान मिले वे अप-टू-डेट रहें और उनमें ज्ञान हासिल करने की भूख और प्यास हो। विद्यार्थी इनोवेटिव बनें और अपने उत्तरदायित्वों का पालन करें।
 शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों के नैतिक मूल्यों की दिशा में ध्यान देना जरूरी है। विद्यार्थियों में मानवीय संवेदनाएं हों व मानवीय मूल्यों की समझ हो। कोई बहुत ज्ञानी शिक्षक क्यों न हो, लेकिन उसकी दी गई शिक्षा तभी कारगर है, जब शिक्षा के साथ वह विद्यार्थियों में अपनत्व, दूसरों के प्रति आदर और देशहित की सोच भी विकसित करने में सफल हो। ज्ञान आधारित प्रतियोगिता के इस युग में विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। शिक्षण संस्थानों का यह प्रयास होना चाहिए कि विद्यार्थी एक सामाजिक, सु-संस्कृत और कुशल नागरिक के रूप में विकसित हो।
 मैंने हमेशा कहा है और कहता भी हूँ कि शिक्षण संस्थानों में आधारभूत संरचना मौजूद हो, यू०जी०सी० द्वारा निर्धारित मापदण्डों का हर हालत में पालन हो, एक निश्चित एकेडमिक कैलेंडर हो और उसका अनुपालन भी हो, समय पर परीक्षा का संचालन एवं रिजल्ट का प्रकाशन हो ताकि विद्यार्थियों को सही समय पर डिग्री प्राप्त हो। विश्वविद्यालयों द्वारा समय पर डिग्री दिया जाना चाहिए और समय पर ही दीक्षांत समारोह आयोजित किए जाने चाहिए।
 आप लोग नई शिक्षा नीति लागू करें जो प्राचीन समृद्ध भारतीय शिक्षा पद्धति से प्रेरित है और जिसमें छात्रों के व्यधक्तित्वक के समग्र और सम्पूदर्ण विकास को केन्द्रछ में रखा गया है। इस शिक्षा नीति का मकसद भारत को ज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति बनाना है। इसमें व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान देने के साथ विद्यार्थियों की रुचि और उनके कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य में स्थापित सभी सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों को इस शिक्षा नीति की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए इसको सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए।
 मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने शैक्षणिक उपलब्धियों के द्वारा सिर्फ देश में ही नहीं, अपितु विदेशों मंा भी कार्य करने का अवसर प्राप्त किया है। विगत वर्षों में सुश्री मोनिका वर्मा एवं सुजाता महतो का चयन न्यायिक सेवा में हुआ है, मैं इन्हें बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि यहाँ के अन्य छात्र-छात्राएँ भी अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए प्रेरित होंगे।
 यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि कृषि विज्ञान के क्षेत्र में यहाँ विद्यार्थियों के द्वारा “इंस्पायर अवार्ड” भी हासिल किया गया है, उन्हें इस उपलब्धि के लिए मैं हार्दिक बधाई देता हूँ। खेलकूद में भी विश्वविद्यालय की भूमिका सराहनीय रही है। खुशी है कि यहाँ के कई छात्र-छात्रायें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं।
 आज की जरूरत उद्योग और शिक्षा में साझेदारी की भी है क्योंकि दोनों ही देश के विकास में भागीदार हैं। शिक्षण संस्थान उद्योग जगत से समय-समय पर फीडबैक लेते रहें ताकि वे अपने पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव कर सके और उनके संस्थानों से निकले हुए विद्यार्थी उद्योग जगत की जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
 आजकल एक बात और देखने में आती है और वो है कि शिक्षा का काफी हद तक व्यवसायीकरण हो गया है। निजी शिक्षण संस्थान छात्रों को ग्राहक के रूप में देखते हैं। आप लोगों को इस बारे में भी चिंता करने के साथ-साथ संवेदनशील भी होना होगा जिससे हम भारत की प्राचीन वैभवशाली शिक्षा प्रणाली के गौरव को वापस ला सकें।
 किसी भी शिक्षण संस्थान को अपने सामाजिक दायित्वों का भी पालन करना चाहिए और आसपास के गाँवों के विकास हेतु सक्रिय रहना चाहिए। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय ने उन्नत भारत अभियान के तहत कुछ ग्रामों को गोद लिया है। मैं चाहूँगा कि आप इन गाँवों के विकास की दिशा में इस प्रकार का समर्पण दिखाएँ कि लोगों का स्नेह आपको मिले और आपसे अन्य विश्वविद्यालय भी प्रेरणा लें।
 विश्वविद्यालय को आर्थिक रूप से कमजोर व प्रतिभावान विद्यार्थियों को निःशुल्क या कम शुल्क में शिक्षा प्रदान करने की दिशा में भी ध्यान देना चाहिए ताकि कोई भी पैसों के आभाव में शिक्षा से वंचित न रहे।
 यहाँ के एन०सी०सी० के कैडेटों द्वारा सक्रिय भागीदारी को बखूबी निभाना व स्वास्थ्य तथा स्वच्छता के क्षेत्र में लोगों को जागरूक करना समाज हित में सार्थक कहा जा सकता है। एन०सी०सी० के कैडेटों ने गणतंत्र दिवस परेड, नई दिल्ली में राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया है।
 मुझे आशा है कि यहाँ के विद्यार्थी अपने विश्वविद्यालय के विश्वास पर खड़ा उतरेंगे, राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए हमेशा सक्रिय रहेंगे। मैं एक बार पुनः आप सभी उपाधिधारकों के उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!
23 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती के अवसर पर राज भवन में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा-सुमन अर्पित की।
20 January 2023
धनबाद में इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन की स्थापना के 100 वर्ष और बीसीसीएल की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर ‘खनन उद्योग: चुनौतियां और अवसर’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
 सर्वप्रथम, मैं इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन को स्थापना के 100 वर्ष और बी०सी०सी०एल० को 50 वर्ष पूरे करने पर बधाई व शुभकामनाएँ देता हूँ और दोनों संस्थाओं को इस संगोष्ठी के आयोजन के लिए भी बधाई देता हूँ।
 मुझे आज खनन से जुड़े आप सभी पेशेवर लोगों के बीच आकर बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन देश में खनन उद्योग की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है। संगठन ने भारत में खनन उद्योग को प्रभावित करने वाली नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले अनेक वर्षों तक यह संगठन खनन उद्योग और समुदाय की सेवा करता रहेगा।
 बी०सी०सी०एल० ने 2022 में अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और उन सभी लोगों की कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतिफल है जिन्होंने वर्षों से इस कंपनी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी पालन किया। विगत 50 वर्षों से भारतीय कोयला खनन उद्योग में भारत कोकिंग कोल लिमिटेड का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है और यह कंपनी देश के विकास में निरंतर योगदान दे रहा है।
 खनन समुदाय को एक साथ लाने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने और खदान प्रबंधकों तथा खनन पेशेवरों को अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन और बी०सी०सी०एल० द्वारा यह पहल सराहनीय है।
 खनन उद्योग का झारखण्ड राज्य की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। धनबाद कोयला खनन के क्षेत्र में पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसे देश की कोयला राजधानी भी कहा जाता है। यहां पर कोयले की अनेक खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। खनन उद्योग अर्थव्यवस्था का एक अनिवार्य भाग है और जरूरी उत्पादों एवं सेवाओं के लिए उपयोग में आने वाली कच्ची सामग्री का महत्वपूर्ण जरिया है।
 श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की नेतृत्व वाली सरकार में मुझे खान मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला। मैंने देश की विभिन्न खानों में जाकर वहाँ की स्थिति का बारीकी से अवलोकन किया तथा इस क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों से विभिन्न पहलुओं पर बातचीत भी की। अभी कुछ माह पूर्व मैं पूर्वी सिंहभूम स्थित यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड भी गया और वहाँ की भूमिगत खदान में जाकर वहाँ की गतिविधियों को नजदीक से देखा।
 खनन के क्षेत्र में सुरक्षा पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। खनन एक जोखिम भरा पेशा है और काम के दौरान कर्मी सुरक्षित रहें, यह भी सुनिश्चित करना होगा। खनन कार्यों की दक्षता और उत्पादकता में सुधार करने की दिशा में काम करना होगा। इस क्षेत्र में निरंतर नवीनतम तकनीक और उपकरणों का उपयोग करने के आलावा इसमें काम करनेवाले कर्मियों को भी नियमित रूप से प्रशिक्षित करते रहना होगा।
 मुझे समाचारपत्रों में पढ़कर दुःख होता है जब आए दिन इस क्षेत्र में कोयले का अवैध खनन एवं चोरी होने की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित होती हैं। देश एवं प्रदेश के इससे राजस्व की हानि तो होती ही है, इसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर की जाती है। इस भाग में कोल माफिया काफी सक्रिय है। इस पर हम रोक क्यों नहीं लगा सकते, यह मेरी समझ के बाहर है।
 खनन गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, पर्यावरण को इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है, जिसमें वनों की कटाई, जल तथा वायु प्रदूषण शामिल हैं। इन प्रभावों को कम करने और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए खनन कंपनियों को नई तकनीकों पर ध्यान देना होगा।
 खनन उद्योग के लिए सामाजिक मुद्दे भी महत्वपूर्ण विषय हैं। खनन उद्योग स्थानीय समुदाय के विकास के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ठीक से प्रबंधित न होने पर पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। खनन गतिविधियां कृषि क्षेत्र को भी प्रभावित करती है। कंपनियों को स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों के साथ निरंतर संवाद स्थापित करना चाहिए और उनकी जरूरतों और चिंताओं को ध्यान में रखकर सी०एस०आर० के तहत मदद करनी चाहिए।
 खनन कंपनियों को सामाजिक दायित्वों के तहत शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आने वाले वर्षों में राज्य और देश के पास कुशल और सक्षम कार्यबल हो। सही नीतियों, निवेश और कुशल कार्यबल के साथ प्राकृतिक संसाधनों की पूरी क्षमता से उपयोग कर अपने देश के लिए स्थायी आर्थिक विकास में भागीदार हो सकते हैं।
 एक बार पुनः इस तरह के आयोजन के लिए इंडियन माइन मैनेजर्स एसोसिएशन एवं बी०सी०सी०एल० को बधाई।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!
19 January 2023
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लिखित पुस्तक 'एग्जाम वॉरियर्स' का आज राज भवन में माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस द्वारा लोकार्पण किया गया। उक्त अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी, पी.आई.बी. के अपर महानिदेशक श्री अखिल कुमार मिश्रा एवं क्ष्रेत्रीय प्रचार अधिकारी श्री गौरव कुमार पुष्कर, आई.आई.एम., रांची के निदेशक डॉ० दीपक कुमार श्रीवास्तव एवं आईआईएम, रांची में फैलोशिप प्राप्त कर रहे विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
19 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से आज झारखंड राज्य खो-खो संघ द्वारा आयोजित 'खेलो इंडिया महिला लीग राष्ट्रीय जूनियर व सब जूनियर खो-खो प्रतियोगिता 2022-23' में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभागियों ने राज भवन में भेंट की। उक्त अवसर पर राज्यपाल महोदय ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया।
19 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘खेलो इंडिया’ के माध्यम से भारत के पारंपरिक एवं विलुप्त हो रहे खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उनके इस प्रयास से एसियाड में कबड्डी को शामिल किया गया। खो-खो भी भारत की मिट्टी का खेल है अर्थात यह खेल गाँव-गाँव, शहर-शहर और अमीर-गरीब सभी के बीच लोकप्रिय है। इस खेल में गाँव की सोंधी महक शामिल है और कोई खर्च भी नहीं है। राज्यपाल महोदय आज अल्बर्ट एक्का खो-खो स्टेडियम, होटवार, राँची में झारखंड राज्य खो-खो संघ द्वारा आयोजित खेलो इंडिया महिला लीग राष्ट्रीय जूनियर व सब जूनियर खो-खो प्रतियोगिता 2022-2023 के समापन समरोह को संबोधित करते हुए खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन कर रहे थे। माननीय राज्यपाल महोदय ने कहा कि खेल में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। सभी खिलाड़ी एक समान होते हैं, उनमें जय-पराजय में समभाव रहता है। पहले विद्यालयों में एक पीरियड खेल का हुआ करता था जिसमें विद्यार्थियों का भाग लेना अनिवार्य होता था। इससे उनमें खेल के प्रति आकर्षण बढ़ता था, इस क्रम में उनका शारीरिक श्रम हो जाया करता था। शारीरिक श्रम करने से बच्चे मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं और हड्डियां मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि सरकार से मदद नहीं मिलने के कारण कई प्रतिभावान बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते है। यदि उन्हें सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन मिले तो वे हमारे देश का नाम रौशन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज लोगों का जीवनशैली व खानपान बदल रहा है जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि टूर्नामेंट में खेलने का अवसर प्राप्त होना भी एक उपलब्धि है। पराजय से निराश न होकर आत्मचिंतन करते हुए कमी को दूर करना चाहिए और अगली प्रतियोगिता में जीत के लिए हौसला रखना चाहिए।
19 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने आज राज भवन में आई.आई.एम., राँची में फेलोशिप कर रहे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखण्ड गरीबी और पलायन से जूझ रहा है। लोगों का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार से जोड़ते हुए गरीबी दूर की जा सकती है। कौशल विकास राष्ट्र निर्माण की धुरी है। प्राय: यह देखा जाता है कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत प्रशिक्षित व्यक्ति रोजगार से नहीं जुड़ पाते हैं और उदासीन हो जाते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें रोजगार से जोड़ा जाए, उन्हें बैंक लोन के माध्यम से निजी व्यवसाय स्थापित करने में भी मदद किया जाए। यहाँ ग्रामीण स्तर पर उत्पादित सामग्रियों की मार्केटिंग की भी समस्या है। उनके उत्पाद को मार्केटिंग करने वाली संस्था या ऑनलाइन एप से जोड़ने में सहयोग किया जाए ताकि उनके उत्पाद की बिक्री हो सके और वे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। एक बार मार्केटिंग से जुड़ जाने के पश्चात् उनमें जागरूकता बढ़ेगी और उनके उत्पाद की गुणवत्ता स्वमेव बढ़ती चली जाएगी। उन्होंने कहा कि एक शिक्षित युवा द्वारा उद्यम स्थापित करने पर कम से कम 4-5 लोगों को रोजगार मिल सकता है। उन्होंने फेलोशिप कर रहे विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि गाँवों में जाकर ग्रामीणों से संपर्क करें और उनकी परिस्थितियों से अवगत होते हुए उपयोगी सेक्टर का चयन कर उस पर कार्य करने के लिए प्रेरित करे और उनका सहयोग व मार्गदर्शन करें। ग्रामीणों सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्रदान करें तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘सशक्त भारत’ के निर्माण में अपना सक्रिय योगदान दें। उक्त अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी एवं आई.आई.एम., रांची के निदेशक डॉ० दीपक कुमार श्रीवास्तव भी उपस्थित थे ׀
19 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से आज केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, भारत सरकार श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की।
17 January 2023
विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, विक्रमशीला विश्वविद्यालय, उज्जैन और भारतीय विश्वविद्यालय संघ के तत्वावधान में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय परिसर, इंदौर में आयोजित दो दिवसीय ‘अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम- 2023’ के समापन समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
-आप सभी विद्वानों के बीच आकर मुझे बहुत ही प्रसन्नता हो रही है। इस समागम में देश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षा जगत के नीति-निर्माताओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई है।
-शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में निहित प्रतिभाओं व शक्तियों का विकास होता है। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य में अंतर्निहित क्षमताओं की अभिव्यक्ति करना है। व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया में, व्यक्तित्व के समग्र विकास में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा मनुष्य में ज्ञान एवं कौशल का विकास कर उसको एक योग्य नागरिक तो बनाती ही है साथ साथ उस राष्ट्र और समाज की दशा और दिशा को भी निर्धारित करती है।
-भारत दुनिया में विचारों की एक अग्रणी शक्ति के साथ शैक्षिक उत्कृष्टता का प्रमुख केंद्र भी रहा है। नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वस्तरीय शिक्षा के केन्द्रों में दुनिया भर से विद्यार्थी ज्ञान हासिल करने आते थे। हमारे ज्ञान की समृद्ध विरासत से विदेशी ताकतों ने जान-बूझकर हमें वंचित किया और एक ऐसी शिक्षा प्रणाली दी जो न तो देशवासियों के हित में थी और न ही व्यवहारिक थी। उस शिक्षा प्रणाली का सिर्फ एक ही मकसद था की कैसे भारतवासियों को हमेशा अंग्रेजों का गुलाम बना कर रखा जाय।
-आज़ादी के अमृतकाल में हम सभी के सामने अवसर है खुद को जानने का। भारत ने संस्कृत विज्ञान, गणित, खगोल, वैदिक गणित, रसायन एवं भाषा इत्यादि के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान दिया है। आज भारतीय ज्ञान परंपरा को पाठ्यक्रम में प्रमुखता से स्थान देकर हम युवा पीढ़ी को भारत के गौरव की अनुभूति करा सकते हैं।
-आजादी के बाद पहली बार देश की प्रकृति, संस्कृति और विकास को ध्यान में रखते हुए ऐसी शिक्षा नीति बनी है जो भारत को वैश्विक पटल पर ‘ज्ञान की महाशक्ति’ बनने की ओर ले जायेगी क्योंकि इसमें ज्ञान की अहमियत के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान पर ध्यान दिया गया है। इसमें विद्यार्थियों के कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपनी जड़ों से जुड़ने एवं अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने की प्रेरणा देती है।
-इस नीति द्वारा देश में स्कूली एवं उच्च शिक्षा में व्यापक सुधारों की अपेक्षा की गयी है। स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा लेकिन किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी। शिक्षा निति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकारों के सहयोग से शिक्षा पर जीडीपी के 6 प्रतिशत व्यय का लक्ष्य भी रखा गया है।
-शिक्षा का मकसद केवल किताबों तक सीमित रहना व सिर्फ डिग्रियाँ हासिल करना ही नहीं है। चाहे सरकारी विश्वविद्यालय हो या निजी विश्वविद्यालय, सभी का प्रयास अपने विद्यार्थियों को बेहतर व गुणात्मक शिक्षा प्रदान करना, उनमें मानवीय मूल्यों का संवर्धन करना और राष्ट्रीय चेतना का विकास करना होना चाहिए। विश्वविद्यालय मंय होने वाले शोध समाज एवं देश की आवश्यकता के अनुरूप हो, समस्याओं के समाधान के लिए हो, यह आवश्यक है। शिक्षा को मानव संसाधन विकास में राष्ट्रीय निवेश के रूप में लिया जाना चाहिए।
-भारत में दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है जिसमें सभी स्तरों पर लगभग 30 करोड़ छात्र और उच्च शिक्षा संस्थानों में 4 करोड़ छात्र हैं। हमारे छात्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जबरदस्त भूख है, चाहे वह भारत में उपलब्ध हो या विदेश में। यही कारण है कि वर्ष 2022 में 4.5 लाख से अधिक छात्र विदेशों में पढ़ने के लिए गए, जिसकी संख्या जल्द ही 18 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। यह भी हमारे लिए चिंतन का विषय होना चाहिए।
-झारखण्ड प्रदेश के राज्यपाल का पदभार ग्रहण करने के बाद मैंने राज्य के विश्वविद्यालयों की जो दुर्दशा देखी मुझे दुःख तो हुआ ही आश्चर्य भी हुआ। राज्य के विश्वविद्यालय मात्र 30 प्रतिशत शिक्षकों के सहारे चल रहे थे। ज्यादातर में तो न कुलपति थे, न ही रजिस्ट्रार, न ही वित्त अधिकारी और न ही कोई परीक्षा नियंत्रक। टीचिंग-नन टीचिंग के पद वर्षों से रिक्त थे और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी थी। झारखण्ड लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2008 के बाद कोई नियुक्तियां ही नहीं की। विश्वविद्यालयों का न कोई एकेडमिक कैलेंडर था और न ही परीक्षाएं समय पर होती थी जिससे विद्यार्थियों को आगे एडमिशन लेने में काफी परेशानी होती थी। मेरे द्वारा निरंतर बैठकें की गयी तब जाकर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई।
-राज्य में नए विश्वविद्यालय तो खुले लेकिन उनके लिए कोई भवन ही नहीं। आधारभूत सरंचना एवं मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी था। कई निजी विश्वविद्यालय किराये के भवनों में चल रहे थे। यू०जी०सी० के मापदण्डों का पालन नहीं हो रहा था। मैंने राज्य के सारे सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ समीक्षा बैठकें की। कई दिशा-निर्देश दिए, बार-बार दिए तब जाकर अब स्थिति कुछ सुधरी है लेकिन अभी भी संतोषजनक नहीं है।
-शैक्षणिक उत्थान की दिशा में सुधार की चुनौतियाँ अपार हैं। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए समय-समय पर शिक्षण व प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। शिक्षण कार्य को अधिक प्रभावी बनाने की नयी-नयी तकनीकों पर भी विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है। मांग के अनुरूप शिक्षण संस्थानों में कोर्स का संचालन हो। ‘सशक्त’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में शिक्षण संस्थानों की विशेषकर उच्च संस्थानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हैं।
-आज की जरूरत उद्योग और शिक्षा में साझेदारी की भी है, क्योंकि दोनों ही देश के विकास में भागीदार हैं। शिक्षा और उद्योग के बीच एक सामान्य इंटरफ़ेस मॉडल होना चाहिए और एक सामंजस्य भी स्थापित होना चाहिए। उद्योग जगत शिक्षण संस्थानों निरंतर अपना फीडबैक या प्रतिक्रिया दे जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि शैक्षणिक संस्थानों से निकले हुए विद्यार्थी उसकी जरूरतों को पूरा करने में काफी हद तक सफल हों। भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को उद्योग आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने की आवश्यकता है जो भारतीय छात्रों की कम रोजगार क्षमता से निपटने में मदद करेगा।
-शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका मनुष्य की समावेशी प्रगति से संबंध है और जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव विद्यार्थियों को एक सभ्य, कुशल, बुद्धिमान और रोजगारपरक बनाने पर पड़ता है। प्राचीन काल में भारत में "गुरुकुल" प्रणाली थी, जहाँ छात्रों को शिक्षा पूरी लगन के साथ दी जाती थी और गंभीरता से देखभाल की जाती थी और उनके चरित्र निर्माण पर विशेष जोर दिया जाता था। लेकिन, आज शिक्षा का काफी हद तक व्यावसायीकरण होने के कारण निजी शिक्षण संस्थान तो छात्रों को ग्राहकों के रूप में देखते हैं। इस बारे में आप शिक्षाविदों को संवेदनशील होने की ज़रुरत है जिससे हम भारत की प्राचीन वैभवशाली शिक्षा प्रणाली के गौरव को वापस ला सकें।
- विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग तथा भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सहयोग से आयोजित इस अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम के अवसर पर उपस्थित देश भर के केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, कुलपतिगण, आईआईएम एवं एनआईटी के निदेशकगण, उच्च शिक्षा संस्थानों के चेयरमैन, निदेशकगण, प्रचार्यगण, शिक्षाविद एवं प्राध्यापक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा एवं इसके क्रियान्वयन हेतु एक मंच पर आए हैं। मैं विद्याभारती उच्च शिक्षा संस्थान के इस प्रयास के लिए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ।
-विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति का गंभीरतापूर्वक अवलोकन कर उस पर विचार-विमर्श कर इसके मूल उद्देश्यों का मूल्यांकन भी करना होगा। मै चाहता हूँ की इस प्रकार की परिचर्चा का आयोजन समय-समय पर होता रहे जिससे नई शिक्षा निति के लाभ, उपयोगिता और गुणवत्ता के बारे में शिक्षकों और विद्यार्थियों को अधिक से अधिक जानकारी मिल सके। -एक बार पुनः आयोजकों को इस समागम के आयोजन के लिए बधाई व शुभकामनाएं।
जय हिन्द!
16 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस को लेखिका सुश्री स्वाति सिंह उर्फ़ किक्की सिंह ने राज भवन में स्वरचित पुस्तक 'शादी का सपना' एवं 'तेरे नाम का..' भेंट की। राज्यपाल महोदय ने लेखिका को पुस्तक रचना हेतु बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
16 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखंड विधानसभा सदस्य श्री सी.पी. सिंह ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की तथा उक्त अवसर पर दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
16 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से पुलिस महानिदेशक (रेल) श्री अनिल पालटा ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की। उक्त अवसर पर दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
12 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के अध्य्क्ष श्री पीयूष भट्ट ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की।
12 January 2023
दिनांक 12 जनवरी, 2023 को रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा राज्यस्तरीय वार्षिक प्रतियोगिता ‘नया भारत गढ़ो कार्यक्रम- रिबिल्ड अ न्यू एण्ड वाइब्रेंट इंडिया’ के प्रतिभागियों के मध्य ‘पुरस्कार वितरण समारोह’ में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
Ø सर्वप्रथम, स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूँ और उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आज उनकी जयंती को पूरा राष्ट्र पूरे उत्साह के साथ ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मना रहा है। आप सभी को मैं ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ की भी शुभकामनायें देता हूँ।
Ø रामकृष्ण मिशन आश्रम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आप सबके बीच आकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ। प्रसन्नता है कि रामकृष्ण मिशन, राँची द्वारा इंडियन योग एसोसिएशन एवं लायन्स क्लब के सहयोग से राज्यस्तरीय वार्षिक प्रतियोगिता ‘नया भारत गढ़ो कार्यक्रम’ विषय पर कक्षा 3 से लेकर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों/शोधार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
Ø मुझे बताया गया कि इस प्रतियोगिता में 70 हजार से अधिक विद्यार्थियों/शोधार्थियों एवं अन्य ने निबंधन कराया। विद्यालय स्तर पर 66 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन रूप से भाग लिया। विश्वविद्यालय स्तर पर 3600 से अधिक विद्यार्थियों/शोधार्थियों ने भाग लिया। मैं पुरस्कार प्राप्त करने वाले के साथ-साथ सभी प्रतिभागियों को बधाई देता हूँ और रामकृष्ण मिशन एवं प्रतियोगिता के आयोजन में भूमिका निभाने वाले अन्य संस्थाओं को इस आयोजन की सफलता के लिए भी बधाई देता हूँ।
Ø रामकृष्ण मिशन संस्था के लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि इसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद जी द्वारा अपने गुरू रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में की गई थी। रामकृष्ण परमहंस के विचारों व उपदेशों के अनुरूप गठित यह एक मिशन था। रामकृष्ण परमहंस का मानना था कि ’मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।’
Ø मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि रामकृष्ण मिशन ने समाज सेवा के क्षेत्र में प्रारम्भ से ही सक्रियता एवं समर्पण से लोगों के बीच अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। यह संस्था शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण आदि के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही है। संस्था लोगों को जागरूक करने की दिशा में और भी सक्रियता से कार्य करें जिससे अधिक-से-अधिक मानव कल्याण एवं परोपकार हो सके।
Ø हम सभी जानते हैं कि भारत माता की पावन भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिन्होंने मानव जाति की सेवा व कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। स्वामी विवेकानंद जी भारत के उन्हीं सच्चे रत्नों में से एक हैं। वे जहाँ कहीं भी गए, अपने महान कर्म एवं विचार के कारण लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके विचारों को याद कर लोग उन्हें आज भी अपना आदर्श मानते हैं और उनके बताए गए पथ पर चलकर भविष्य निर्माण करते हैं।
Ø स्वामी विवेकानन्द जी महान चिन्तक, दार्शनिक एवं भारतीय सनातन संस्कृति के पुरोधा के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्रोत भी थे। उन्होंने विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया तथा समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक योगदान दिया।
Ø स्वामी जी ने शिक्षा को समाज की रीढ़ माना। वे ऐसी शिक्षा प्रणाली को उपयुक्त मानते थे जो व्यक्ति को जीवन में आने वाले संघर्ष के लिए तैयार कर सके। उसे इस योग्य बनाये कि भविष्य की चुनौतियों का डटकर सामना कर सके। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति को स्वावलम्बी बनाये, उसमें आत्मविश्वास की भावना का विकास कर सके। उनका मानना था कि विद्यार्थी को व्यवहारिक प्रशिक्षण देना बहुत आवश्यक है।
Ø शिक्षा द्वारा व्यक्तित्व का निर्माण, जीवन जीने की दिशा एवं चरित्र निर्माण होना चाहिए। व्यक्ति का नैतिक आचरण, सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देता है। विवेकानंद जी ने मातृभूमि के विकास के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया। मानव हेतु चरित्र-निर्माण की शिक्षा की वकालत की। उनका कहना था कि छात्रों के साथ-साथ छात्राओं की शिक्षा पर भी समान रूप से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने देश की आर्थिक प्रगति के लिए तकनीकी शिक्षा पर भी बल दिया।
Ø स्वामी जी के अनुसार, युवा किसी भी देश की सबसे बहुमूल्य संपत्ति होता है। उन्होंने युवाओं को अनंत ऊर्जा का स्रोत बताया। उनका कहना था कि अगर युवाओं में निहित ऊर्जा को सही दिशा प्रदान कर दी जाये तो राष्ट्र के विकास को नए आयाम मिल सकते हैं। उन्होंने युवा वर्ग को चरित्र निर्माण के पांच सूत्र दिए। आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, आत्मज्ञान, आत्मसंयम और आत्मत्याग। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया-उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये!
Ø स्वामी विवेकानन्द जी ने भारतीय युवकों में आत्म-विश्वास की प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने युवकों में व भारत की जनता में वीरता, निर्भयता और भारतीयता का संदेश दिया। वे महिला सशक्तिकरण के प्रबल पक्षधर थे। उनके अनुसार जब तक विश्व में महिलाओं के उत्थान के लिए काम नहीं होगा तब तक विश्व का कल्याण संभव नहीं है।
Ø उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर अपने भाषणों में धार्मिक चेतना जगाने एवं दलित, शोषित व महिलाओं को शिक्षित कर उन्हें राष्ट्रनिर्माण हेतु प्रेरित किया। उनका योगदान विश्व स्तर पर बहुत महान रहा। उन्होंने जहां एक ओर अध्यात्म की ऊंचाईयों को छुआ, वहां दूसरी ओर एक सामाजिक न्याय के लिए भी उनके मन में गहरी तड़प थी।
Ø स्वामी विवेकानन्द जी ने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में अपने सम्बोधन में जब अमेरिकी भाइयों और बहनों कहा तो सभा के लोगों के द्वारा करतल ध्वनि से पूरा सदन गूंज उठा। स्वामी जी ने अपने इस सम्बोधन में कहा कि मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की शिक्षा दी है... मुझे एक ऐसे देश का नागरिक होने पर गर्व है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। उनके भाषण ने दुनिया को भारत की संस्कृति और मूल्यों की झलक दिखायी।
Ø स्वामी जी आज भी दुनिया भर के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत और मार्गदर्शक हैं। वे हर युवा के लिए एक प्रेरणा हैं, जो अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति रखते हैं। उनके आदर्शों को आगे ले जाने के लिए युवाओं को स्वयं के अंदर नैतिकता और समाज के प्रति समर्पण का भाव पैदा करने की जरूरत है। उनके विचारों को दिनचर्या में अपना कर युवा प्रगति के मार्ग पर चल सकते हैं।
Ø ऐसे महान विभूति के आदर्शों के संदर्भ में शिक्षण संस्थानों में गतिविधियां का आयोजन होते रहना चाहिए ताकि हमारी युवा पीढ़ी उनके विचारों को अपने जीवन व व्यवहार में अपना सकें। रामकृष्ण मिशन की स्थापना का मकसद बहुत व्यापक है। इसे लोकहित में सक्रियता से निरंतर कार्य कर जनता की पूर्ण उम्मीदों पर खड़ा उतरना चाहिए।
Ø रामकृष्ण मिशन का दायित्व है कि स्वामी विवेकानद जी के विचारों व आदर्शों पर अधिक से अधिक शोध आधारित पुस्तकों का भी प्रकाशन करें ताकि हमारी युवा पीढ़ी स्वामी जी के विचारों से अवगत हो सकें और उनका अनुसरण कर सकें।
Ø यहाँ विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के स्थिति के संदर्भ में चर्चा की गई। मैं जब आया तो समीक्षा के क्रम में पाया कि लगभग 40 प्रतिशत शिक्षकों के साथ शिक्षण संस्थान चल रहे थे। शिक्षकों के साथ शिक्षकेतर कर्मियों की भारी कमी है। विश्वविद्यालय में विभिन्न महत्वपूर्ण पद रिक्त थे। निजी विश्वविद्यालयों के साथ बैठक की और विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा सुलभ कराने का निदेश दिया। मेरा मानना है कि शिक्षा व्यवसाय का साधन नहीं बनना चाहिए। विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में रिक्तियों को भरने की दिशा में कार्रवाई हो रही है। बिगड़ी हुई व्यवस्था को ठीक करने में समय लगता है लेकिन मैं भी पीछे हटनेवाला नहीं हूँ। राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के लिए पूर्णतः प्रयासरत हूँ। जेपीएससी को नियुक्ति प्रक्रिया में गति लानी होगी। विश्वविद्यालयों में समय पर परीक्षा हो, परीक्षाफल का प्रकाशन हो, मेरा प्रयास है।
Ø मुझसे झारखंड प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी कुछ माह मिलने आये थे। संवाद के क्रम बहुत से अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई झारखण्ड से की लेकिन उच्च शिक्षा के लिए बाहर चले गए। यहाँ के विद्यार्थियों को यहाँ के विश्वविद्यालयों में गुणात्मक शिक्षा मिले तो उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
Ø एक बार पुनः आप सभी प्रतिभागियों को शुभकामनायें एवं इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए रामकृष्ण मिशन को बधाई देता हूँ।
जय हिन्द!
12 January 2023
माननीय राज्यपाल महोदय ने विकास भारती संस्था द्वारा आयोजित “शिल्पी मेला-सह-प्रदर्शनी 2023” के समापन समारोह में भाग लिया।
उक्त अवसर पर उन्होंने संस्था द्वारा प्रारंभ किये जा रहे '40 दिन में 40 स्थान पर 40 कार्यक्रम' का भी उद्घाटन किया।
दिनांक 12 जनवरी, 2023 को विकास भारती द्वारा आयोजित “शिल्पी मेला-सह-प्रदर्शनी 2023” के समापन समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
Ø आज स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती है, सर्वप्रथम मैं उन्हें नमन करता हूँ। उनकी जयंती को पूरे देश में उत्साह के साथ ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनायी जाती है। आप सभी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ की हार्दिक शुभकामनायें।
Ø विश्वपटल पर देश को गरिमामय स्थान दिलाने में स्वामी विवेकानंद जी का नाम सदैव आदर व सम्मान से लिया जाता रहेगा। स्वामी विवेकानंद जी उन महापुरुषों में से एक हैं जो अपने दर्शन व विचारों एवं कर्मों से भारत माता को गौरवान्वित करते रहे। उनका व्यक्तित्व व उनके आदर्श देशवासियों को प्रेरित करते रहेंगे।
Ø विवेकानंद जी जैसे महापुरुष मृत्यु के बाद भी जीवित रहते हैं और सदियों तक अपने विचारों और सोच से लोगों को प्रेरित करते रहते हैं। विश्व में भारतीय दर्शन एवं योग को प्रसारित करने में विवेकानन्द जी की महत्वपूर्ण भूमिका है।
Ø गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था ‘यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे।‘ स्वामी विवेकानंद जी केवल संत ही नहीं थे बल्कि एक महान विचारक, देशभक्त एवं कुशल वक्ता भी थे। भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के युवाओं के लिए भी उनके विचार प्रासंगिक एवं अनुकरणीय हैं।
Ø आप जानते हैं, सन् 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धार्मिक सम्मेनलन में संबोधित करते हुए उन्होंने अपने विचारों से सबको प्रभावित कर पूरे विश्व को भारत की महान संस्कृति के बारे मंा बताया।
Ø यह एक सुखद संयोग है कि सामाजिक संस्था विकास भारती द्वारा आयोजित ‘शिल्पी मेला -सह-प्रदशनी’ का समापन स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती के अवसर पर हो रहा है और खुशी है कि इस प्रसिद्ध सामाजिक संस्था के स्थापना के 40 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। किसी भी सामाजिक संस्था का इतनी लम्बी अवधि तक क्रियाशील और प्रासंगिक रहना समाज के बीच उसकी विश्वसनीयता एवं स्वीकार्यता का जीता-जागता प्रमाण है।
Ø खुशी की बात है कि विकास भारती गुमला जिला के बिशुनपुर को केन्द्र मानकर झारखंड के समस्त जनजातीय क्षेत्रों में विविध आयामों के साथ लगातार कार्य करते आ रही है। विकास भारती ने पद्मश्री श्री अशोक भगत जी के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में इन 40 वर्षों के कालखण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में जनमानस के लिए कार्य कर अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है।
Ø संस्था विविध आयामों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं इससे सम्बद्ध सेवाओं बागवानी, वानिकी तथा कौशल विकास के माध्यम से रोजगार, तकनीकी विकास, महिला स्वावलम्बन, पर्यावरण एवं सामाजिक जागरूकता की दिशा में सतत प्रयासरत है। इसके लिए मैं अशोक भगत जी को हार्दिक बधाई देता हूँ।
Ø मुझे बताया गया कि विकास भारती ने लगभग 1 लाख परिवारों के लिए रोजगार के मार्ग प्रशस्त किए हैं। 54 हजार से अधिक युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर उन्हें हुनरमंद बनाने एवं रोजगार से जोड़ने का काम किया है। हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए 500 से अधिक कारीगरों का कौशल विकास किया है।
Ø संस्था द्वारा एक हजार से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन्हें आय सृजन की गतिविधियों से जोड़ा गया है। उनके उत्पाद ‘विकास’ नामक ब्रांड से विभिन्न बाजारों में बेचे जा रहे हैं। संस्था द्वारा बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास सराहनीय है।
Ø आदिवासियों के विकास हेतु विकास भारती ने एक मॉडल विकसित किया है जिसमें स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, कृषि, आय-सृजन, वन एवं जल संसाधन का संरक्षण, ग्रामीण तकनीक एवं सामाजिक विवेक को समाहित किया गया है।
Ø इस जीवलोक में निःस्वार्थ भाव से जो परोपकार के लिए जीता है, दूसरे के लिए संघर्ष व त्याग करता है वह सही मायने में जिन्दगी को सही तरीके से जीता है और दुनिया उन्हें सदैव याद रखती है। निःस्वार्थ भाव से किए जानेवाला परोपकार ईश्वर की सच्ची पूजा है। संस्था के सदस्य परोपकार के मार्ग पर चलते रहें और लोक-कल्याण का कार्य करते रहें, यही मेरी कामना है।
Ø आज हमारे राष्ट्र के पास एक विशाल मानव सम्पदा है, जिसमें अधिक संख्या युवाओं की है। इस युवा आबादी में निहित प्रतिभा को विकसित कर एवं उनके कौशल विकास पर ध्यान देकर आर्थिक व सामाजिक विकास किया जा सकता है।
Ø हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय युवाओं के कौशल विकास हेतु अत्यंत गंभीर है और इसके लिए योजनाएँ भी संचालित हैं। सबके सहयोग से एवं इस योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार से अधिक-से-अधिक युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
Ø मैं चाहता हूँ कि समाज में जागरूकता की दिशा में संस्था के हर कार्यकर्ता समर्पित भाव से कार्य करें। राज्य में मौजूद सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए संस्था को और सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है। जनजातीय समुदाय में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता के आदि के साथ सरकार द्वारा उनके लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के प्रति जागरूक करने की जरूरत है।
Ø संस्था को अपने कार्यों से राज्य में पलायन जैसी गंभीर समस्या के निदान के लिए अपनी कोशिश की गति में और तेजी लानी होगी। राज्य के लोगों में प्रतिभा की कमी नहीं है, जरूरत है उनके हुनर को पहचान कर उसे प्रोत्साहित करने की। मेरा विश्वास है कि विकास भारती इस दिशा में गंभीरतापूर्वक काम कर अन्य सामाजिक संस्थाओं के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
Ø विकास भारती अपने स्थापना के उद्देश्यों को पूरा करते हुए निरंतर विकास पथ पर अग्रसर रहे, मैं ऐसी कामना करता हूँ। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ।
जय हिन्द! जय झारखंड!
12 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर राज भवन में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
11 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से बीसीसीएल के सीएमडी श्री समीरन दत्ता ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की।
09 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री रबीन्द्र नाथ महतो ने राज भवन में भेंट की तथा दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी। उक्त अवसर पर राज्यपाल महोदय को विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा द्वारा प्रकाशित "डायरी" एवं "कैलेंडर" भेंट की।
08 January 2023
झारखण्ड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड द्वारा आयोजित राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
-झारखण्ड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के समापन समारोह के अवसर पर आकर बहुत प्रसन्नता है।
-राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव के प्रति प्रदेशवासियों में बहुत उत्साह एवं आकर्षण रहता है, लेकिन कोरोना महामारी की विभीषिका के कारण विगत 2 वर्षों तक इस महोत्सव का आयोजन नहीं किया जा सका।
- इस महोत्सव में खादी एवं ग्रामोद्योग से जुड़े कई शिल्पकारों एवं कारीगरों द्वारा उत्साहपूर्वक स्टॉल के साथ-साथ विभिन्न सेवाओं के स्टॉल भी लगाये गए। खुशी है कि महोत्सव में देश के कोने-कोने से आये हुए विविध विधाओं के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम और नाट्य प्रस्तुत किए गए। आम लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हेल्थ चेकअप कैंप का आयोजन निश्चय ही सराहनीय है।
-खादी ने भारत के ग्राम आधारित रोजगार और स्वदेशी की भारतीय कल्पना को नया आयाम दिया है। खादी कारीगरों को सतत रोजगार उपलब्ध कराने में विश्वास रखती है।
-यह कहते हुए मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन के हर पहलुओं को समेटे उनकी तस्वीरों के माध्यम से उनके जीवन पर आधारित गांधी संग्रहालय बनाया गया है। यह संग्रहालय महात्मा गांधी के विचार और उनका खादी के प्रति लगाव को दिखाता है।
-महोत्सव में खादी आधारित बापू के सिद्धांत एवं उद्देश्य के अनुरूप स्वरोजगार एवं स्वावलंबन तथा ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण झलकती है। यह महोत्सव देशभर के बुनकरों, कारीगरों एवं हस्तशिल्पियों के उत्पाद को मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव से उनकी एक विशिष्ट पहचान बनी है।
-हम जानते हैं कि देश की आज़ादी के आंदोलन में खादी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने खादी के माध्यम से देश के लोगों को आत्मनिर्भर बनने पर बल दिया था। उन्होंने गाँवों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी के प्रचार-प्रसार पर बहुत जोर दिया। उनका मानना था कि खादी तथा ग्राम उद्योग को अपनाने से लोगों के सामाजिक स्तर में भी सुधार आ सकता है। पूज्य बापू ने इन पर सिर्फ उपदेश ही नहीं दिया, बल्कि इसे स्वयं आत्मसात भी किया।
-इतिहास साक्षी है कि स्वदेशी, स्वराज, सत्याग्रह के साथ चरखे और खादी ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में कितनी अहम भूमिका निभायी है। खादी सिर्फ वस्त्र नहीं, परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक भी बनी। खादी का एक-एक धागा आजादी के आंदोलन की ताकत बना था, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर आजाद भारत की नींव रखी।
-आज विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए खादी का एक-एक धागा प्रेरणास्रोत बन सकता है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकता है।
-खादी केवल वस्त्र या एक उत्पाद नहीं है बल्कि एक विचार है, जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिया है। इसमें कुटीर उद्योग के जरिए स्वावलंबन व रोजगार खड़ा करने का बड़ा उद्देश्य समाहित है। खादी के जरिये ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले अधिक-से-अधिक लोगों को स्वावलंबी बनाया जा सकता है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, उद्योग विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग को समन्वय स्थापित कर इस दिशा में कार्य करना होगा।
-देश की कुल जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा विकास से वंचित रह गया है और आज भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहा है। ऐसे लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना देश के सामने एक बड़ी चुनौती है और इस चुनौती का उचित माध्यम महात्मा गांधी का विकास मॉडल ‘खादी और ग्राम उद्योग’ हो सकता है। खाड़ी में करोड़ों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।
-खादी के साथ ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प एवं आधुनिक तकनीकों के साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अपना कर एवं ग्रामीणों को रोजगार सुलभ कराकर उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
-खादी आज गाँवों में रहनेवाले बहुत से लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है। इसे बाजार की माँग के अनुरूप अपना उत्पाद तैयार करना होगा। खादी कपड़े के प्रति लोगों के नजरिये में आज बदलाव देखने को मिल रहा है। अब फैशन शो आदि में भी खादी के आकर्षक कपड़े देखने को मिलते हैं। हमारे युवाओं में भी खादी के प्रति आकर्षण बढ़ा है तथा वे खादी के वस्त्रों का उपयोग कर रहे हैं। देशभर के हस्तशिल्प कारीगरों की खुशहाली इसी बात पर निर्भर है कि हम खादी एवं ग्रामोद्योग को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं।
-मैं इस अवसर पर झारखण्ड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड से कहूँगा कि वे लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए खादी का और व्यापक प्रचार-प्रसार करें। खादी के रोजगार से बेरोजगारों एवं गरीबों को जोड़ने हेतु उन्हें ऋण सुलभ कराने के लिए अपने स्तर से सदैव प्रयासरत रहें। उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण सुलभ करायें और उनके लिए एक अच्छा बाजार उपलब्ध हो।
-एक बार पुनः झारखण्ड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं ग्रामीण विकास विभाग, झारखण्ड सरकार की पूरी टीम को इस महोत्सव के सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूँ।
जय हिन्द ! जय झारखण्ड !
06 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. एस.एन पाठक ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की। उक्त अवसर पर दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
06 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड के कॉर्पोरेट हेड श्री सुयश शुक्ला ने राज भवन में शिष्टाचार भेंट की। उक्त अवसर पर दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएँ दी।
06 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने डॉ. संजय प्रसाद सिंह द्वारा लिखित दो पुस्तक 'खुशी और सफलता' एवं 'अभिप्रेरणा के स्वर' का राज भवन में लोकार्पण किया। राज्यपाल महोदय ने लेखक को पुस्तक रचना हेतु बधाई दी। उक्त अवसर पर पूर्व सांसद प्रो. यदुनाथ पांडेय समेत अन्य भी उपस्थित थे।
05 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से 'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' के राष्ट्रीय परामर्शी डॉ. धर्मा राव एवं सेंट्रल टी.वी डिवीजन की डॉ. अंजुरी अग्रवाल एवं अन्य ने आज राज भवन में शिष्टाचार भेंट की। उक्त अवसर पर राज्य में इस अभियान की प्रगति एवं निक्षय मित्र के संबंध में व्यापक चर्चा की गई।
05 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने कहा कि राज्य के अनुसूचित जनजातियों के कल्याणार्थ राशि की कमी नहीं है, कमी है तो प्रतिबद्धता के साथ योजनाओं का क्रियानव्यन करने की व विजन की। उन्होंने कहा कि विडम्बना है कि राज्य के जनजाति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। केंद्र सरकार से प्राप्त राशि पड़ी है लेकिन उचित योजना बनाकर व्यय नहीं कर रहे हैं। उन्होंने जनजातियों के विकास के लिए विभाग को सही योजनाओं का निर्माण कर उन योजनाओं का ससमय बेहतर क्रियान्वयन का निदेश दिया ताकि केंद्र से प्राप्त राशि का अधिक से अधिक लाभ लोगों को मिले। राज्यपाल महोदय आज राज भवन में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उक्त अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी, कल्याण सचिव श्री के० श्रीनिवासन, आदिवासी कल्याण आयुक्त श्री लोकेश मिश्रा, विशेष सचिव, कल्याण विभाग श्री राजीव रंजन मिश्रा, निदेशक, डॉ० रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान डॉ० रणेन्द्र कुमार एवं अन्य वरीय पदाधिकारीगण मौजूद थे।
माननीय राज्यपाल ने समीक्षा के क्रम में 275 (1) के तहत केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि हेतु योजनाओं के निर्माण एवं व्यय पर चिंता व नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि केन्द्र से विगत तीन वित्तीय वर्षों में प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत भी व्यय न होना विभाग की शिथिलता को प्रदर्शित करता है। विदित हो कि भारत सरकार द्वारा 2020-21 में 102.78 करोड़ राशि के विरुद्ध 43.49 करोड़, 2021-22 में 122.64 के विरुद्ध 17.90 एवं 2022-23 में 67.48 के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक कोई राशि व्यय नहीं कर पाई है। समीक्षा में मालूम पड़ा कि सी०सी०डी० योजना के अंतर्गत 2020-21 में 1777.29 लाख के विरुद्ध 1019.75 एवं 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है जिसके कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध कोई भी राशि विमुक्त नहीं की गई। राज्यपाल महोदय एस०सी०ए० टू टी०एस०पी० योजना की समीक्षा करते हुए आश्चर्य व दुःख प्रकट करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में विमुक्त 7049.64 लाख राशि के विरुद्ध 1311.838 लाख, 2021-22 में 6531.00 लाख के विरुद्ध कोई व्यय नहीं हुआ जिसके परिणामस्वरूप 2022-23 में केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हुआ। राज्यपाल महोदय ने युवाओं को स्वरोजगार हेतु आर्थिक सहायता, सिलाई वितरण मशीन का वितरण, तालाब निर्माण एवं जीर्णोद्धार आदि योजनाओं के कार्यान्वयन की विफलता पर नाराजगी प्रकट किया। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6415.15 लाख राशि के विरुद्ध व्यय शून्य रही।
राज्यपाल महोदय ने योजनाओं के निर्माण व क्रियान्वयन में गति लाने के लिए क्षेत्रीय पदाधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय स्थापित कर अनुश्रवण करने का निदेश दिया। राज्यपाल महोदय द्वारा अधिकारियों से कहा कि योजनाएँ पूर्व से ही तैयार कर ली जानी चाहिए ताकि केन्द्र सरकार द्वारा राशि प्राप्त होते ही कार्य प्रारम्भ हो जाएँ। केंद्र सरकार को विगत वर्षों की विभिन्न योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी नहीं भेजे गए हैं जिससे केंद्र द्वारा योजनाओं की आवंटन राशि में कमी आई है। राज्यपाल महोदय ने केन्द्र को ससमय उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी प्रेषित करने का निदेश दिया। उन्होंने साइकिल वितरण योजना पर चर्चा करते हुए कहा कि बहुत दुखद है कि राज्य में साइकिल वितरण योजना प्रभावी नहीं है, यहाँ के छात्र/छात्राएँ साइकिल से वंचित हैं और जबकि दो माह बाद उनकी परीक्षा होनेवाली है। इन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन नहीं होने से राज्य में ड्रॉप आउट की समस्या बढ़ती है। राज्य के छात्र/छात्राओं को साइकिल शीघ्र सुलभ कराने की दिशा में विभाग को कार्य करने हेतु निदेशित किया गया।
माननीय राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड राज्य 5वीं अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत आता है, लेकिन आश्चर्य है कि पिछले 18 महीने में एक बार भी विभाग के अधिकारियों द्वारा आकर विभाग की गतिविधियों से अवगत नहीं कराया गया। राज्य में जनजातियों के हित में संचालित विभिन्न योजनाओं की प्रगति से अवगत होने के लिए आज यहाँ बुलाया गया है। राज्यपाल महोदय ने कहा वे शुरू से कह रहे हैं कि वे राज्य के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं और सरकार को सहयोग प्रदान करने आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा टी०ए०सी० की नियमावली में पुनर्गठन संबंधी प्रस्ताव उनके द्वारा वापस कर दिया गया। पूर्व में राज्यपाल द्वारा टी०ए०सी० में 2 व्यक्तियों को नामित किए जाने का प्रावधान था जिसे इस नियमावली के तहत समाप्त किया गया। सरकार को इस संबंधी पत्र प्रेषित किया गया है लेकिन इसका जवाब अब तक अप्राप्त है। समीक्षा बैठक में पृच्छा के क्रम में भी विभागीय अधिकारियों द्वारा ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। राज्यपाल महोदय ने विगत दिनों आयोजित टी०ए०सी० की बैठकों एवं इसकी कार्यवाही की वैधानिकता पर भी प्रश्नचिन्ह उठाया, जिसका जबाव उपस्थित विभागीय अधिकारी नहीं दे पाये। टी०ए०सी० संबंधी राज भवन द्वारा प्रेषित पत्र का अतिशीघ्र जवाब देने का निदेश दिया गया।
माननीय राज्यपाल ने उक्त अवसर पर छात्रावास योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि छात्रावासों की स्थिति बेहतर दशा में हो, इस दिशा में ध्यान दिया जाय। साथ ही उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी उत्तीर्ण हो जाते हैं, उन्हें 2-3 माह समय देकर छात्रावास खाली करने हेतु कहें, आवश्यकतानुसार इसके लिए प्रशासन का भी सहयोग लें। उक्त अवसर पर राज्यपाल महोदय ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण योजना के कार्यान्वयन में शिथिलता अफसोस का विषय है। समीक्षा के क्रम में ज्ञात हुआ कि बिरसा आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2262.16 लाख राशि के विरुद्ध 1657.41 लाख, 2021-22 में 2069.76 लाख के विरुद्ध 1370.40 लाख, 2022-23 में 1904.16 लाख के विरुद्ध 454.50 लाख व्यय किया गया। राज्यपाल महोदय ने शहीद ग्राम विकास योजना के तहत कार्य को भी अत्यंत असंतोषजनक बताया। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना एवं शहीद ग्राम विकास योजना के तहत कार्य की प्रगति के साथ पीवीटीजीएस हेतु संचालित विशेष योजनाओं के कार्यान्वयन सहित विभाग द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की जानकारी प्राप्त की।
04 January 2023
दिनांक 4 जनवरी, 2023 को करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर द्वारा ‘आर्थिक विकास में कृषि और ग्रामीण विकास की भागीदारी और हिस्सेदारी’ पर राष्ट्रीय अंतर्विषयक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल-सह- झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यलयों के कुलाधिपति महोदय का सम्बोधन:-
 सर्वप्रथम, आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं। आज करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आप सभी के बीच आकर खुशी हो रही है। कृषि एवं ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण विषय से जुड़े पहलुओं पर इस सम्मेलन के आयोजन के लिए सभी आयोजकों को बधाई देता हूँ।
 मुझे बताया गया है कि करीम सिटी कॉलेज की दशकों पुरानी विरासत है। इस शिक्षण संस्थान की नींव राज्य विभाजन के पूर्व ही रखी गई थी और यह संस्थान यहाँ के विद्यार्थियों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। आज यहाँ ‘आर्थिक विकास में कृषि और ग्रामीण विकास की भागीदारी और हिस्सेदारी' पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन बहुत ही प्रासंगिक है।
 भारतीय अर्थव्यवस्था का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। भारत को उस समय सोने की चिड़िया कहा जाता था जब वैश्विक व्यापार एवं निर्यात में भारत का बोल-बाला था। उस समय भारत की कृषि क्षेत्र में उत्पादकता अपने चरम पर थी एवं कृषि उत्पाद विशेष रूप से मसाले आदि भारत से लगभग पूरे विश्व में भेजे जाते थे। लेकिन ब्रिटिश हुकूमत के बाद भारत कृषि उत्पादन में अपनी आत्मनिर्भरता खो बैठा।
 खुशी है कि आजादी के समय खाद्यान्न की कमी का सामना करने वाला भारत अब ‘आत्मनिर्भर भारत’ बन दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न फिर से निर्यात कर रहा है। कृषि नवाचार ने भारत के खाद्यान्न के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण कृषि क्षेत्र में निरन्तर सुधार हो रहा है और किसानों की आय में वृद्धि के व्यापक प्रयास हो रहे हैं। संसार के सभी देशों में विकास कृषि के विकास के बाद ही संभव हुआ है। इसलिए औद्योगिक विकास कृषि के विकास पर ही निर्भर है। भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कृषि के विकास को साथ लेकर चलना ही पड़ेगा।
 ग्रामीण इलाकों में निवास कर रहे नागरिकों के लिए स्वयं सहायता समूह भी विकसित किए गए हैं और रोजगार के अधिकतम नए अवसर अब गैर कृषि आधारित क्षेत्रों में निर्मित हो रहे हैं। हमारे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ बनाए रखने में कृषि और ग्रामीण विकास की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।
 देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए कुटीर उद्योग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को ग्राम स्तर पर ही अधिक से अधिक शुरू करने की ज़रूरत है। इससे इन गांवों में निवास करने वाले लोगों को ग्रामीण स्तर पर ही रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे।
 कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का हमेशा एक आधारभूत स्तंभ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज हमारा कृषि क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। सिंचाई संबंधी सुविधाओं के अभाव कारण मानसून पर निर्भरता, छोटे एवं सीमांत जोत की समस्या, बाजार एवं प्रौद्योगिकी व तकनीक का अभाव के साथ जलवायु परिवर्तन तथा रासायनिक खादों का प्रयोग के कारण भारतीय कृषि में कुछ समस्याएँ हैं।
 आज जब ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात होती है, तो सबसे पहले हमें देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाए जाने की ज़्यादा जरूरत दिखती है। देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचाने में कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
 कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए किसानों को न केवल अपने उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना होगा बल्कि अपनी उत्पादकता में भी वृद्धि करनी होगी। किसानों को अब ये भी समझना पड़ेगा कि कृषि क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक खेती के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप ही कृषि उत्पादन करने की ज़रूरत है।
 गाँव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गांधी जी के सपनों को साकार करना पड़ेगा। पूर्व में गांव की अर्थव्यवस्था कुटीर उद्योग पर आधारित थी। लोग अपनी जरूरतों को गांव में ही पूरा कर लेते थे। बुनकर से कपड़ा, बढ़ई से औजार, लोहार से हल, कोल्हू से तेल और मोची से जूता की जरूरतों को पूरा कर लेते थे और किसान लोगों के लिए अनाज का उत्पादन करते थे। इस प्रकार अर्थव्यवस्था का रोटेशन गांव में भी होता था। धीरे-धीरे शहर पर निर्भरता बढ़ती चली गई और गांव की अर्थव्यवथा प्रभावित होने लगी। हमें गांव एवं ग्रामीणों की स्थिति को समझना होगा एवं भविष्य को भी देखना होगा। बढ़ती जनसंख्या के लिए गांव की जमीनों का भी उपयोग किया जाने लगा है। हमें बढ़ती आबादी के लिए जमीन के उपयोग एवं भविष्य में बढ़ती जनसंख्या के लिए अन्न उत्पादन हेतु आवश्यक जमीन के बीच सामंजस्य स्थापित करना पड़ेगा।
 आज किसान किसानी करना नहीं चाहते हैं, क्योंकि किसानी उनके लिए स्थाई आय का स्रोत नहीं है। अनावृष्टि हुआ तो मुश्किल। अतिवृष्टि हुआ तो मुश्किल। और लहलहाते खेत में कीड़ा लग गया तो मुश्किल। हमें उनकी मुश्किलों को समझना होगा और उसे दूर करने के लिए हर सम्भव प्रयास करना होगा। किसान समृद्ध होंगे तभी देश समृद्ध होगा।
 ग्रामीण गैर-कृषि गतिविधियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विविधता लानी होगी। मशीनीकरण और कृषि-अनुसंधान कृषि उत्पादकता को बढ़ा तो सकते हैं लेकिन हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत एवं लाभकारी बनाने के बारे में सोचना होगा तथा कृषि उत्पादों को बड़े बाज़ारों तक पहुँचाना होगा।
 ग्रामीण विकास में कृषि के अलावा भी कई लघु उद्योग एवं कलात्मक उत्पाद देखने को मिलते हैं जिन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने पर हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बहुत लाभ हो सकता है। मैं समझता हूं कि विश्वविद्यालय ऐसे उद्योग और बाजार की संभावनाओं वाले उत्पाद की पहचान करने में ग्रामीणों की मदद कर सकते हैं।
 हमें यह भी देखना होगा कि जिन फसलों को किसान बोना चाहते हैं, उनके लिए आवश्यक जलवायु, पानी, मिट्टी आदि कैसा होना चाहिए। इसका परीक्षण कर संबंधित किसानों को शिक्षित करना होगा ताकि वह सुझाव अनुसार कार्य करने के लिए सहमत हो सके।
 हमें यह भी समझना होगा कि टेक्नोलॉजी ने कृषि के क्षेत्र में उत्पादन और व्यापारिक जटिलता दूर करने में, बाजार के संबंधों को मजबूत करने में और कृषि प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद की है। आज भी किसान तकनीक का उपयोग करके अपनी आय बढ़ाने के अलावा फसल की विफलता के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसलिए व्यापक स्तर पर कृषि विकास नीति में तकनीक के उपयोग को बढ़ाने पर बल देना चाहिए।
 आज के समय में एग्री स्टार्टअप हमारे युवाओं के लिए एक अच्छा अवसर पैदा कर सकता है। किसानों को बड़े बाजार से जोड़ने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। डिजिटल तकनीक को किसानों के उत्पाद और बाज़ार से जोड़ने पर चमत्कारिक परिवर्तन देखे जा सकते हैं।
 अब जो चुनौती हमारे सामने हैं वह है एक सतत, समावेशी और जिम्मेदारी युक्त कृषि उत्पादन एवं प्रबंधन की। यह तभी संभव है जब सभी हितधारक सतत विकास लक्ष्य के प्रति अपनी नीतियों और कार्यों से आगे बढ़े।
 नाबार्ड कृषि क्षेत्र में और अच्छा कार्य कर जनमानस के हृदय में अपना स्थान हासिल करें। मैं उनके अधिकारियों से कहूँगा कि वे किसानों को नई-नई तकनीकों से खेती करने में अपना पूरा सहयोग दें और किसानों की दिन-प्रतिदिन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहें।
 वर्तमान में ग्रामीण पर्यटन भी तेज गति से बढ़ रहा है क्योंकि देश के शहरों में पर्यावरण की स्थिति दिनोंदिन बहुत बिगड़ती जा रही है एवं भारत के ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त हरियाली के चलते शुद्ध हवा उपलब्ध है। इस पर भी आप लोगों को कार्य करने की आवश्यकता है।
 कृषि और ग्रामीण विकास को विकसित करने के लिए आप सभी उसके विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा करें एवं अच्छे और सकारात्मक सुझाव सरकार को दें। इससे कॉन्फ्रेंस की सार्थकता सिद्ध होगी।
 एक बार पुनः आयोजकों को इस सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!
03 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री नीरज सिन्हा ने राज भवन में भेंट की। उक्त अवसर पर दोनों ने एक-दूसरे को नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से राज्य के मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंह ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएँ दी। राज्यपाल महोदय ने भी उक्त अवसर पर उन्हें नव वर्ष की बधाई दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखंड लोक सेवा आयोग की अध्यक्ष डॉ० मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनायें दी। राज्यपाल महोदय ने भी उन्हें नव वर्ष की बधाई दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० अजीत कुमार सिन्हा ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएँ दी। राज्यपाल महोदय ने भी उन्हें नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, राँची के कुलपति डॉ० ओ०एन० सिंह ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। राज्यपाल महोदय ने भी उन्हें नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची के कुलपति डॉ० तपन कुमार शांडिल्य ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। राज्यपाल महोदय ने भी उन्हें नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के कुलपति डॉ० एम०एन० देव ने राज भवन में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। राज्यपाल महोदय ने भी उन्हें नव वर्ष की बधाई व शुभकामनाएं दी।
02 January 2023
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस से झारखंड स्टेट बार काउंसिल का एक प्रतिनिधिमंडल काउंसिल के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कृष्णा के नेतृत्व में भेंट कर नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। उक्त अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड में कोर्ट फी में बढ़ोतरी को वापस करने, बजट में अधिवक्ता कल्याण के लिए प्रावधान करने, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने आदि विभिन्न मांगों के संबंध में ध्यान आकृष्ट किया। उक्त अवसर पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल श्री राजेश कुमार शुक्ल एवं अन्य भी मौजूद थे।